Wednesday, March 30, 2022

Day -5 Environment (चिपको आंदोलन Chipko movement)

Chipko Movement :- 
चिपको आंदोलन एक पर्यावरण रक्षा का आंदोलन था यह भारत के उत्तराखंड राज्य में किसानों ने वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए वह अपने राज्य के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई का विरोध कर रहे थे और उन पर अपना परंपरागत अधिकार जता रहे थे यह आंदोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के (UK)चमोली जिले में सन 1973 में प्रारंभ हुआ एक दशक के अंदर यह पूरे उत्तराखंड क्षेत्र में फैल गया था चिपको आंदोलन की एक मुख्य बात थी कि इस में स्त्रियों ने भारी संख्या में भाग लिया था इस आंदोलन की शुरुआत 1973 में भारत के प्रसिद्ध पर्यावरण सदरलाल बहुगुणा
 और कामरेड गोविंद सिंह रावत तथा चंडी प्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरा देवी के नेतृत्व में हुई थी यह भी कहा जाता है कि कामरेड गोविंद सिंह रावत की ही चिपको आंदोलन के व्यावहारिक पक्ष से जब चिपकू की मार व्यापक प्रतिबंधों के रूप में स्वयं चीकू की जन्मस्थली की घाटी पर पड़ी तब कांग्रेस गोविंद सिंह रावत ने आंदोलन शुरू कर दिया चिपको आंदोलन बनो का आओ व्यवहारी करण कटाव रोकने के लिए किया गया था वन अधिकारियों द्वारा रैणी में 24 सौ से अधिक पेड़ों को काटा जाना था इसलिए इस पर वन विभाग और ठेकेदार जान लड़ने को तैयार बैठे थे जिसे गौरी देवी जी के नेतृत्व में रैली गांव की 27 महिलाओं ने प्राणों की बाजी लगाकर असफल कर दिया था.

मोली जिले के रैणी गांव में वनों को काटने से बचाने के लिए एक ऐसा आंदोलन ने जन्म लिया जो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय ख्याति (Famous) प्राप्त कर गया गांव की गोरा देवी की अगुवाई में ग्रामीण महिलाओं ने पेड़ों पर चिपक कर पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी और पर्यावरण संरक्षण का अनोखा रूप देखने को मिला जिसके बाद पूरी दुनिया महिलाओं के इस आंदोलन को चिपको के नाम से जानने लगी,चिपको आंदोलन 26 मार्च 1973 को शुरू हुआ था

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